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"चलो जरा स्वभाव बदले"

"स्वभाव, व्यक्तित्व से बेहतर होना चाहिए"


क्या हमारा स्वभाव ही हमारे अवसाद का कारण नहीं है?


आम धारणा यह है कि स्वस्थ शरीर और आर्थिक तंदुरुस्ती ही मन की शांति के लिए जरूरी है, लेकिन वास्तव में इन दोनों के बावजूद, कई लोग निरंतर मानसिक असंतोष या परेशानी के साथ जीवन व्यतीत करते हैं। ऐसे में सहज रूप से यह विचार आता है की, शायद हमारा स्वभाव ही हमारी मानसिक उथल-पुथल या निराशा का कारण तो नहीं है? हम अंदर की इस अशांति या असंतोष को दूर करने में सक्षम हैं, हमारा स्वभाव हमारे नियंत्रण का विषय है और हम अपने स्वभाव को बदल सकते हैं। फिर भी हम अपना स्वभाव नहीं बदलते हैं। क्योंकि हम नकारात्मक नजरिए के इतने अभ्यस्त हो जाते हैं कि हम अपनी बेहतरीन के लिए भी बदलना नहीं चाहते।

उदाहरण के लिए, जब एक कैदी को सालों बाद जेल से रिहा किया जाता है और जब वह बाहर की खुली रोशनी की दुनिया में आता है, तो बहार का खुला माहौल उसे अच्छा नहीं लगता, यह उसके लिए असहनीय हो जाता है। उसे जेल कंही ज्यादा सुरक्षित लगने लगती है। आज के दौर में नकारात्मकता कई लोगों के जीवन का एक अहम हिस्सा बन गई है, जो बहुत खतरनाक है। इस नकारात्मकता की वजह से लोग अपने इदॅ गिदॅ एक घेरा जैसा बना लेते हैं जिसके कारण ऐसे लोग धीरे-धीरे नकारात्मकता के घेरे में अकेले रह जाते हैं। और पूरी दुनिया, परिवार, दोस्त ...आदि को अपनी इस नकारात्मकता या अवसाद के लिए जिम्मेदार मानते हैं।


यह नकारात्मकता कहां से आती है? क्या हम इस स्वभाव के साथ ही पैदा हुए थे?


ज्यादातर लोग बचपन से ही ऐसी नकारात्मकता में घिर जाते हैं। परिवार में भाई-बहन या झगड़े, डराने-धमकाने आदि की बजह से ऐसा होता है। ....घर में ऐसा माहौल यदि हो तो, वह बचपन से ही नकारात्मकता के बीज बोता है। हमें अपने समाज में ऐसे कई लोग देखने को मिलते हैं। ऐसे लोगों में हर चीज में असंतोष या नकारात्मकता होती है। उन्हें जो भी मिलता है वह कम पड़ जाता है। यानी वे किसी भी चीज को कम ही आंकते हैं, अपूणॅ मानते हैं और उससे असंतुष्ट रहते हैं। ऐसे लोगों में हमेशा खामियां निकालने की आदत सी होती है। वे किसी भी आदमी की बुरी चीजों में अधिक रुचि रखते हैं। इस स्वभाव के कारण लोग उन्हें धीरे धीरे पसंद करना या उनसे बात करना बंद कर देते हैं, ऐसी आदतों के बाद भी यदि हम अपना स्वभाव नहीं बदलते हैं। तो हम हमारे सबसे बड़े दुश्मन हैं। इसका परिणाम यह होता है कि ऐसे नकारात्मक विचारों वाले व्यक्ति को दोस्त, नौकरी, विवाह या रिश्ते बनाए रखने में कठिनाइयाँ हो सकती है। वे हर जगह नकारात्मक माहौल फैलाते रहते हैं। और अपने इस व्यवहार के कारण, अकेलापन, क्रोध, निराशा, हताशा आदि उन लोगों में पैदा होती हैं और जीवन नीरस लगने लगता है ये बहुत ही दर्दनाक व्यसन हैं। ऐसी सोच मनुष्य के अवचेतन मन में नकारात्मक विचारों की प्रक्रिया शुरू कर देती है। इसलिए अगर कोई आदमी खुश रहना चाहता है, तो उसे हमेंशा सकारात्मक सोचना चाहिए।

किस तरह का स्वभाव हमें नकारात्मक बनाता हैं?


· असंतोष

· निराशा

· ईर्ष्या

· चिंता

· डर

· अहंकार

· उम्मीद

· शक

· क्रोध .... आदि।


दोस्तों, हम सकारात्मक कैसे हो सकते हैं?

हमें अपने मस्तिष्क या दिमाग को स्पष्ट और परिष्कृत करने और उसमें सकारात्मक विचारों को स्थापित करने की आवश्यकता है। जैसे सुंदर या सही साथियों का साथ प्राप्त करने से पहले हमें अपनी वाणी में सुधार करना होगा। मन के भीतर शुभ संकल्पों को साकार करने के लिए निरंतर प्रयास करने होंगे। जिस तरह से हर रात के बाद एक सुबह होती है और हर शाम के बाद एक रात होती है। ठीक वैसे ही जीवन के सुख और दुख भी दिन और रात जैसे हैं, यह सकारात्मक विचारधारा हैं। सुख-दुःख आते है और चले जाते है लेकिन इंसान को कभी भी डरना नहीं चाहिए। दुखों का भले समुंदर ही क्यों न आ जाए व्यक्ति को डरना नहीं चाहिए, कभी उदास या हताश नहीं होना चाहिए और इनके दबाव में आकर कभी कोई गलत कदम नहीं उठाना चाहिए ।


तो आइए दोस्तों, स्वभाव को सकारात्मक बनाने के लिए कुछ संकल्प करें ।


तो आइये सबसे पहले, अपने स्वभाव को बदलें -

यदि हम अपने मन में सकारात्मक विचारों को अपनाते हैं, तो हमारा मन किसी भी अवसाद को दूर करने में सक्षम होगा और हम खुशियों से भरे जीवन के साथ आगे बढ़ सकते है। जो मनुष्य अपने स्वभाव को परिस्थिति के अनुसार ढाल सकता है, वह मनुष्य इस जीवन के रंगमंच पर सबसे अच्छा कलाकार है। हम परिस्थितियों को नियति और नसीब मानकर चलें ,या परिस्थितियों को अपने अनुकूल करें ? यह हमारी समझदारी हैं


आपके अच्छे व्यक्तित्व की छवि बनाये-

ऐसा करते समय इस बात का ध्यान रखें कि आप दूसरों से कमजोर नहीं हैं। अपने दिमाग में अपने बारे में एक बुरी छवि न फिट करें ।कहावत है न, "जैसा तुम बोओगे वैसा ही काटोगे"। इसलिए आप वही बन जाओगे जैसा आप सोचते हो । याद रखें कि आपको अपनी सुंदर छवि स्वयं बनानी होगी। "मेन इज आकिॅटेकट ओफ हीज ओन फयुचर”। इसलिए आप अपने व्यक्तित्व को देखकर खुश हो और ऐसा ही बनने की कोशिश करें।


अपने विचारों को लिखें -

चाहे आप जीवन में कितने भी परेशान या असफल हों, हम कभी हार नहीं मानेंगे, क्योंकि दुनिया में ऐसी कोई रात नहीं है जिसमें सूर्योदय न हो। यानी हर रात की सुबह निश्चित है। इसलिए जो भी अच्छे-बुरे स्वभाव के विचार हैं, उन्हें एक उम्मीद के साथ लिखें और समय के साथ उन्हें सकारात्मक तरीके से बदलने की कोशिश करें।


एक अच्छी किताब पढ़ें -

जीवन जीने में रुचि जगाएं, अच्छी किताबे पढ़ें जो, आपको प्रेरित करे। महान हस्तियों के चरित्र, आत्मकथाएँ, जो आपको सही दिशा में मुड़ने के लिए प्रेरित करती हैं।


बदलें व्यवहार -

हर कोई आप को धोखा देते है, अपनी किस्मत बहुत खराब है। आप कभी सफल नहीं होंगे। यह सोचने के बजाय कि आप बहुत भाग्यशाली हैं और एक दिन जरूर सफल होंगे जैसी बातें सोचने की आवश्यकता है। अपनी प्रतिकूल परिस्थिति में भी अपनी दिनचर्या को सही दिशा में बदलें। जैसे तास खेलते समय आपको पते चुनने का कोई अधिकार नहीं होता है ... लेकिन कौन से पते को कब चलना है, यह हमारे ऊपर है। उसी तरह .. हमें जीवन में परिस्थितियों को चुनने का कोई अधिकार नहीं है ... लेकिन परिस्थितियों में कैसे व्यवहार करना है यह हम पर निर्भर है। अपने व्यवहार को बदलने की कोशिश आपको केवल सकारात्मक दिशा में ले जाने में मदद करेगी।


नियमितता बदलें -

आप अपनी रोज की नियमितताओं को बदलें, जैसे जिस गली में आप आते हैं, उसे हर दिन बदलें , अगर आप हर दिन देर से उठते हैं, तो जल्दी उठें, वही करें जो आपको पसंद है । हर दिन मिलने वाले नकारात्मक लोगों से दूर रहें। ऐसा करना आपके दिमाग को हर दिन उसी नकारात्मक विचारों से सकारात्मक दिशा में सोचने के लिए प्रेरित करेगा।


नई चीजें सीखें जो आपको पसंद हैं -

अपनी दिनचर्या से कुछ अलग सीखें। विभिन्न क्षेत्रों को जानें जिसमें आप रुचि रखते हैं। यदि आप इसमें आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं, तो आपकी सोच बदल जाएगी, जिससे आपको नए विचार मिलेंगे जो आपको आंतरिक खुशी देंगे और आपको गलत विचारों से दूर रखेंगे।


सक्रिय रहें-

नई गतिविधियाँ करें लेकिन शांत न रहें, ताकि गलत विचार आपके मस्तिष्क में न आएं। उन लोगों के साथ सक्रिय रहें जो आपकी रुचि के क्षेत्र में बहुत प्रतिभाशाली हैं या किसी अन्य क्षेत्र में महारथ रखते हैं। ताकि आप उन लोगों के साथ रह सकें और नई चीजें सीख सकें, नई चीजें सोच सकें। आप एक साथ रहकर अपनी क्षमता को जान पाएंगे। इसके अलावा, किसी ऐसे व्यक्ति को खोजें जो आपको खुश और आनंदित कर शके और जिससे मिल कर आप का मन खुशी से झूम उठे।


एक खूबसूरत-प्रेरणादायक जगह पर जाएं -

जैसे अगर आप रोज ऑफिस की कैंटीन में खाना खाते हैं, तो किसी नई जगह पर जाएं। बार बार एक ही जगह घूमने के बजाय हर दिन दूसरी जगह जाएं। जहां सुंदर-मनोरम वातावरण, खूबसूरत आसमानी नजारा हो, जो आपको जीने के लिए प्रेरित करेगा कि दुनिया कितनी खूबसूरत है।


आशावादी रहें -

हम अपने में विश्वास रखेंगे और सकारात्मकता के साथ सतत प्रयत्न करते रहेगे तो, हताशा से जरूर बहार आ जाएंगे ।

सत्संग करें -

संतो के प्रवचनों को सुनें, अच्छे ज्ञान की सभाओं में जाएँ। किसी अच्छे व्यक्तित्व वाले व्यक्ति से मिलें, जो भी आपको पसंद हो उसे सीखने की कोशिश करें।

यदि आप लगातार सकारात्मक स्वभाव के लिए प्रयास करते हैं, तो आप कई लाभ प्राप्त करेंगे, जैसे कि


१. खुशी चारों तरफ दिखाई देगी।

२. सभी अच्छे संबंध रखेंगे।

३. पर्सनैलिटी बेहतर जान पाएंगे।

४. तनाव-निराशा कम लगेगी ।

५. लोग आपको पसंद करेंगे।

६. आप अपने प्रश्नों को हल करने में सक्षम होंगे।

७. ऑफिस, घर, दोस्त सभी आपका सम्मान करेंगे, अच्छा बोलेंगे।

८. आपको अपनी क्षमता का पता चल जाएगा।


आप सर्वश्रेष्ठ हैं -

ईश्वर ने हमें इतनी क्षमता दी है। हम सब असफल होने के लिए नहीं बने हैं। कभी-कभी एक सफल तीरंदाज का एक तीर भी विफल हो जाता है, इसलिए यह संभावना नहीं है कि वह भविष्य में सफल न होगा। हर आदमी को खुद को सबसे बड़ा मानना ​​चाहिए। अगर हम सकारात्मक सोचते हैं तो हम अपनी क्षमता को समझेंगे। और तब ऐसा लगेगा कि हमारा जीवन इतना कींमती है कि कोई भी इसका मूल्यांकन नहीं कर सकता है। लेकिन कई लोग इसकी कींमत अपने विचारों, महत्वाकांक्षाओं, जरूरतों और ताकत से उनको महत्व देते हैं, लेकिन हमें डरना नहीं चाहिए। खुद को अक्षम मत समझो। हम यह मानकर अवसाद से बाहर आ सकते हैं कि हम सर्वश्रेष्ठ हैं।


सबसे अच्छे दोस्त बनाएं -

जो दोस्त आपके दर्द को समझते हैं, जानते हैं, आपका मार्गदर्शन करते हैं, आपको सही दिशा दिखाते हैं। वैसे ही जीवन में एक दोस्त भगवान कृष्ण जैसा अच्छा होना बहुत जरूरी है। इसलिए, जब मन विचलित या कुछ समझ में नहीं आता है या मन बहुत उदास होता है, तो ऐसे दोस्तों को दिल से दिल का दर्द बताएं, तो परेशान दिमाग शांत हो जाएगा और कोई भी गलत कदम उठाना बंद कर देगा। अपने दोस्तों को तुरंत फोन करें, यदि वे फोन नहीं उठाते हैं, तो एक जरूरी संदेश छोड़ दें। और तब तक अपने मनपसंद चीज करे या भगवान का नाम लेने पर अपना ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करें। लेकिन आत्महत्या करने की कोशिश मत करो। जैसे कहावतों में कहा जाता है, "कमरे में एक चित्र होना जरूरी है, लेकिन जीवन में एक अच्छा मित्र होना भी आवश्यक है।"


परामर्श -

कभी-कभी जब अवसाद अधिक होता है और आप अपनी समस्या के बारे में किसी को बताने में संकोच करते हैं और कोई रास्ता नहीं निकलता है, तो परामर्श या चिकित्सक की मदद लें। लेकिन आत्महत्या करने, गोलियां लेने, एक कमरे में बंध रहना, किसी से बात न करना ... आदि जैसे कोई भी गलत कदम न उठाएं।


सभी समस्याओं का हल है, इसलिए हार मत मानो। अक्सर चाबियों के गुच्छे की अंतिम चाबी से ताला खुल जाता है। इसलिए, यदि हम स्वभाव में नकारात्मकता लाते हैं, तो हम नरक की तरह महसूस करेंगे और यदि हम सकारात्मक स्वभाव में सोचते हैं, तो मृत्यु भी एक त्यौहार की तरह लगने लगेगा। हम जो करते हैं वह हमारे हाथ में है। लेकिन आत्महत्या या आत्महत्या जैसा कोई कदम न उठाएं। हमारा जीवन हमारे लिए उतना ही कींमती है जितना कि वे हमारे परिवार के लिए। दुनिया में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे हल नहीं किया जा सकता है।


"आशा अमर है"


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